Today, as we mark International Women’s Day, let’s take a moment to delve deep into the rich mosaic of narratives, battles won, and victories celebrated that paint the global female journey. This isn’t just a date on the calendar; it’s a heartfelt celebration embedded deeply in the souls of countless individuals, a day dedicated to the relentless spirit of women who mold the very fabric of our communities in countless significant ways.
Every woman treads a path that’s distinctly her own, yet interwoven with shared threads of tenacity, bravery, and affection. From the corridors of power in global metropolises to the serene, steadfast villages, women are leaving indelible marks, shattering ceilings, and trailblazing paths previously uncharted.
Poems of Our Heroines
In celebration of International Women’s Day, our cherished Indian poets have poured their hearts and souls into creating poignant verses that capture the essence of womanhood. Their contributions stand as a testament to the enduring spirit, resilience, and grace of women across the globe. These poets, through the power of their words, have beautifully addressed themes of equality, strength, and empowerment, resonating deeply with readers and listeners alike.
We are proud to present a curated collection of their works below. Each poem is a jewel, meticulously crafted to honor the myriad roles women play and the diverse journeys they undertake. Through their poetic expressions, our Indian poets have not only paid homage to women but have also contributed significantly to the discourse on gender equality and women’s rights.
Please find below the list of poems that celebrate the magnificence of women, acknowledging their invaluable contributions to our world and the relentless pursuit of their rights and dreams. Let these verses inspire you, move you, and remind you of the incredible power and beauty of women everywhere.
श्रीमती मीनाक्षी त्रिवेदी,
‘मौनी’ वडोदर
नारी
इश्वर का वरदान है नारी, नारी बीन संसार अधूरा। नारी!!!!
तू मां है – सांस है, बेटी है – बहु है, सी~मामी~चाची~बुआ, भी~जेठानी~देवरानी, संबंधों का हर स्वरूप, निभाती परिवार में! अप्रतिम है रोल तेरा। गाँव में रहती नारी,
सहजता से करे खेतों में काम,
परिवार का रखे खयाल। शहरों में रहती नारी, पढी लिखी या अनपढ़,
अर्थोपार्जन रने, जिम्मेदारी निभाकर धर की, करती काम पूरे सब। कभी न समझें, नारी अबला है! सबला है नारी हमेशा से। नारी चाहे हो मेनेजर, या चाहे हो डायरेक्टर,
या है वो मजदूर,
निखरती हर रोल में, करती काम सुपेरे। बहुत समझदार है नारी, त्याग और समर्पण की देवी। हर धर की शान है नारी,
घर घर की लाज है नारी। नारी कभी नहीं लाचार,, नारी से ही समुज्ज्वल,,
संसार रूपी ये गुलशन।।
मालिनी त्रिवेदी पाठक
वडोदर
नारी
हे सुकुमारी स्नेह भरी,
नारी तुम जग की प्रहरी।
इस जग का शृंगार तुम्हीं हो, तुमसे धरती हरी-भरी।
सातों सुर सजे हैं तुमसे, तुम जीवन सरिता-स्वर लहरी।
शुभ-लाभ,कल्याण है तुमसे, तुम्हीं सुख-शांति की मुख्य धरी।
सीता-लक्ष्मी का रूप तुम्हीं,
तुमसे गौरवान्वित घर की देहरी।
पुकार रहा है राष्ट्र तम्हें,
मत बैठो घर में ठहरी ठहरी।
ज्ञान विज्ञान की अलख
जगाओ बन मैत्रेयी, गार्गी ऋतम्भरी।
घूम रहे चंड-मुंड चहुँ ओर,
शस्त्र उठाओ बन चामुंडा,
काली भयंकरी!
विश्व का कल्याण तुमसे,
तुम्हीं रक्षक, पोषक,
विश्वम्भरी।
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
स्त्री मन
स्त्री मन कि अगर बात उठी है तो , स्त्री के मन से मिलवाती हूॅं ।
कुछ समझना चाहा तो ये जाना , स्त्री मन की हत्या कर दबाती है।।
उसके मन में भाव उठे जब कभी , पति की थकान को महत्व दे जाती है । मन किया आज ये बना लूं उसका , परिवार की फर्माइश देख भूल जाती है।।
पहले सभी पेट भर खाएं सभी,
स्त्री देख सभी को खुश हो जाती है । इसके बदले वो आप सभी से केवल
प्रेम, सम्मान कुछ वक्त ही तो
चाहती है।।
कहती नहीं दिल की बात वो
अपनी ,
फिर भी आंखें उसकी सब
बतलाती है।
पढ़ो कुछ वक्त निकाल आंखें
उसकी ,
अपने मन में स्त्री बहुत कुछ
दबाती है।।
नलिनी पंड्या
“नंदिनी”
नारी हुं पर हारी नहीं
अपराजित योद्धा हुं मैं
हार नहीं मानुंगी… !!
जिंदगी की राह पर मंजिल के
लिए,
बिना विराम लिए जीवनभर चलुंगी|
जीवन में धुप छांव आते जाते
रहेंगे, फूल की सेज हो या कंटक की राह..!!
मैं हार नहीं मानुंगी ..!!
जीवनसाथी बीच राह छोड़ गए,
दु:ख के विकट दिनों में..
धीरज समता रखके मैं ने,
जिम्मेदारी, कार्यबोज या
हो कर्तव्य पालन..!!
सब फर्ज अदा करके,
जीवन पथ पर चलुंगी मैं..!!
संतोष से जिया आजतक,
उसी राह पर चलुंगी |
सब कुछ सब को नहीं मिलता,
ये सत्य स्वीकार किया मैं ने..!!
मजबूत मन और मजबूत तन से,
धन नहीं है पास मेरे..!!
भरोसा ईश्वर पर रखके,
सत्यपथ पर चलुंगी..!!
अपराजित योद्धा हुं
नारी हुं मैं पर हारी नहीं.
नलिनी पंड्या “नंदिनी”
दक्षा ठाकर, ‘दक्षु’ अमदावाद
नारी कभी न हारी
प्रभु का वरदान नारी,
नारी कभी न हारी।
संहार करने दानव का, हर युग में अवतार धरा नारी तुं ने।
शक्ति के बीन शिव अधूरे,
लक्ष्मी के बीन हरि अधूरे।
राधा के बीन श्याम अधूरे,
सिया के बीन राम अधूरे। और
कलयुग में नर-नारी,
जीवन रथ के पहिये।
नारी के लिये यह सच है, जिसने कहा है…, ‘कार्येषु मंत्री करणेषु दासी,
भोज्येषु माता शयनेषु रंभा।
धर्मानुकूला क्षमया धरित्री,
भार्या च शा: गुण्यवती:दुर्लभा।।’
प्रभु का वरदान नारी,
नारी कभी न हारी।
अवनी शिवांग दवे “ शिवेस्वरी “ , वड़ोदरा गुजरात
अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस
जो जीवन को लाती है धरती पर
नारी तो शक्ति का अवतार होतीं है हर रिश्ते को खूबसूरती से प्यार के
एक सूत में परोके माला सजाती है।।
धरती से लेकर आसमान तक
हर नारी नया इतिहास रचती है
संसार की चुनौती को पार करके
हर लक्ष्य को पूरा वह करतीं है।।
शिक्षा के सुंदर पंख लगाकर नारी जीवन में नई ऊंची उड़ान भरती है मायके सुसराल में उजाला कर
दो कुलों को रोशन करती है।।
समय आ गया अब तो जागो
आओ सब नारी का सम्मान करो
सबका अस्तित्व तो नारी से ही है इसको तुम सब स्वीकार करो।।
सरिता बड़ौदा
नारी शक्ति महान
महान शक्ति है आज की नारी। झांसी की रानी है आज की नारी।। मेवाड़ की मीरां है आज की नारी।
घर की गृह लक्ष्मी है आज की
नारी।। सहनशीलता की मूरत है आज की नारी। एक सच्ची मां ओर शिक्षक
आज की नारी।। पूरा घर सोता है तब जगती है आज की नारी।
भारत देश का गौरव है आज
की नारी।। बच्चों की दोस्त ओर हमदर्द है
आज की नारी। ममता की मिशाल है आज की नारी।।
खलखल बहेती सरिता जैसी आज की नारी। मीठी यादों की झील जैसी आज की नारी।। दीन-दुखियों की बेली है आज की नारी। सब दर्द की दवा ओर दुवा है
आज की नारी।।
निर्मल पावन गंगा है आज की
नारी। मां बहन और बेटी में बसी है
आज की नारी।। हर घर में पूजी जाती है आज की नारी।
सब शक्ति में महान है आज की नारी।।
पल्लवी जोशी।।
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